पर्यूषण पर्व : एक-दूसरे से माफी मांग कर मनाया क्षमा याचना पर्व

 


                                       


देहरादून, आज पर्युषण महापर्व के संवत्सरी क्षमावाणी के अवसर पर आज पर्यूषण पर्व के अंतिम चरण में श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर जैन भवन देहरादून में शांतिधारा का सौभाग्य अनुज जैन एवं राजीव जैन रायपुर वालों को मिला।


 


अभिषेक के उपरांत शांति सागर हाल में श्री दिगंबर जैन समाज देहरादून द्वारा क्षमावाणी पर्व का आयोजन किया गया,  जिसमें सभी ने आपस में क्षमा याचना की। 


 


इस मौके पर श्री दिगंबर जैन समाज अध्यक्ष विनोद जैन, महामंत्री हर्ष जैन, उपाध्यक्ष सुकुमार चंद जैन, जैन धर्मशाला के अध्यक्ष प्रवीण जैन, उप मंत्री अजीत जैन, कोषाध्यक्ष राजीव जैन तथा आदि सभी समाज के वरिष्ठ सदस्य मंचासीन रहे। 


 


इस अवसर पर भारतीय जैन मिलन के राष्ट्रीय महामंत्री नरेश चंद जैन ने सभी को इस दिन की बधाई देते हुए कहा कि हमें भी रोजमर्रा की सारी कटुता, कलुषता को भूलकर एक-दूसरे से माफी मांगते हुए और एक-दूसरे को माफ करते हुए सभी गिले-शिकवों को दूर कर क्षमा-पर्व मनाना चाहिए। 



दिल से मांगी गई क्षमा हमें सज्जनता और सौम्यता के रास्ते पर ले जा‍ती है। आइए, इस क्षमा-पर्व पर हम अपने मन में क्षमाभाव का दीपक जलाएं और उसे कभी बुझने न दें। 



*खम्मामि सव्व जीवाणां, सव्वे जीवा खमंतु मे* !
*मैत्ती मे सव्व भूदेसू, बैरं मज्झं ण केण वि* !!
इस मौके पर जैन भवन मंत्री श्री संदीप जैन ने इस पर्व की बधाई देते हुए कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी के चलते हुए सभी ने यह पर्व अपने  घरों में  भी मनाया, जैसे हर दिवाली पर घर की साफ सफाई की जाती है उसी प्रकार दशलक्षण महापर्व मन की सफाई करने वाला पर्व है। 


 


इसलिए हमें सबसे पहले क्षमा याचना हमारे मन से करनी चाहिए जब तक मन की कटुता दूर नहीं होगी तब तक क्षमावाणी पर्व मनाने का कोई अर्थ नहीं है अतः जैन धर्म हो गई क्षमा भाव ही सिखाता है। 


 


इस पावन अवसर पर केंद्रीय महिला संयोजिका मधु जैन ने क्षमावाणी पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व सभी संप्रदाय में मनाया जाना चाहिए। क्षमा मांगने से ज्यादा क्षमा दिल से करना मुश्किल काम है। 


 


अगर आप कर सकते हैं तो कृपया क्षमा दिल से करो सिर्फ शब्दो में या लिख देने मात्र से क्षमा नही मानी जाती। क्षमा देने से बड़ा क्षमा मांगने वाला होता है क्योंकि वह अपने अहम को, अपने स्वाभिमान को खत्म करके, जाने अनजाने में की हुई गलती का क्षमा मांगकर मैत्री भाव का संदेश देता है।


 


इसलिए कहा गया है *क्षमा वीरस्य भूषणम*'
क्षमा कालुष मन को धोने का एक मात्र रास्ता है। एक सफाई अभियान मन का भी होना चाहिए, जिसमें  रागादि विकारों को निकाल कर परस्पर प्रेम उत्पन्न किया जाता है। 



अंत मे कार्यक्रम में जलपान की व्यवस्था सौरभ सागर समिति द्वारा की गई थी। इस अवसर पर अशोक जैन, सुनील जैन, अमित जैन, महेंद्र जैन, सुखमाल जैन, प्रमोद जैन, लोकेश जैन, रंजना जैन, बीना जैन, जैन कॉलोनी से सुनैना जैन एवं समस्त जैन समाज के गणमान्य पुरुष महिलाये एवं बच्चे उपस्थित रहे।