बदल दी कैरवान गांव की तस्वीर : उमेश्वर सिंह रावत का सड़क से जंगल तक का सफर

               



 



  


* मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्रोजेक्ट को दिया अंजाम


Indresh kohli 


देहरादून, businessthought.page सिविल डिफेंस देहरादून के डिप्टी चीफ वार्डन उमेश्वर सिंह रावत किसी परिचय के मोहताज नहीं है। उत्तराखंड बनने से पहले सड़क सुरक्षा, वृक्षारोपण एवं अन्य सामाजिक कार्य करने वाले उमेश्वर, राज्य बनने के बाद पहले राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। दून वासियों को उन पर गर्व इसलिए भी होना चाहिए क्योंकि सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में काम करने के साथ-साथ उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर कैरवान गांव में पौधरोपण कर वहां की दशा ही बदल डाली।


          उमेश्वर रावत के बारे में जानकारी मिलने पर हमारी भी उनसे मिलने की जिज्ञासा जागी। इसके बाद एक खास मुलाकात में उन्होंने हमारे साथ अपने जीवन के कई अनुभव साझा किए और सड़क सुरक्षा कार्यक्रमों के साथ-साथ कैरवान गांव की पहाड़ी में किए जा रहे पौधरोपण और पौधों की देखभाल के बारे में भी जानकारी दी। साल 2018 में दिसंबर माह का वह दिन उमेश्वर नहीं भूलते हैं, जब तीन दिन बाद उनकी बेटी की शादी थी और उन्हें दिल्ली जाना था वह भी गृहमंत्री के हाथों पुरस्कृत होने के लिए। यह उनको मिलने वाला सम्मान नहीं था, यह पूरे प्रदेश को मिलने वाला नागरिक सुरक्षा संगठन का पुरस्कार था। यह बात बताते हुए उमेश्वर भावुक भी हो गए। इससे पहले उन्हें 2010 में डायरेक्टर जनरल सिविल डिफेंस डिस्क अवार्ड भी दिया जा चुका है।


                 


 उमेश्वर सिंह रावत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देहरादून शाखा में अपनी शानदार सेवाएं दी। लेकिन वह वर्ष 1991 से लगातार समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उन्होंने अपना रास्ता सिविल डिफेंस का क्षेत्र चुना। वह बताते हैं कि तब से लेकर लगातार प्रशासन के साथ भी और विभिन्न कार्यक्रमों में स्कूल कॉलेजों में सामाजिक संस्थाओं के साथ उन्होंने सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में बहुत काम किया। साथ ही फायर ब्रिगेड विभाग की ओर से आयोजित जागरूक कार्यक्रमों का भी वह हिस्सा बने। 


       इस मुलाकात की सबसे खास बात यह रही कि सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में इतना काम करने के बावजूद उमेश्वर सिंह रावत का मन कैरवान गांव में पौधरोपण के काम में ज्यादा लगा दिखाई दिया। ऐसा महसूस हो रहा था कि अब कैरवान गांव का यह काम उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है क्योंकि जितनी देर हमने उनसे बात की। इतनी देर में लगभग 80% उनका फोकस गांव की और ही था। उन्होंने बताया कि पौधरोपण के काम के लिए उनकी नागरिक सुरक्षा की टीम में मुख्य वार्डन, प्रभागीय वार्डन, घटना नियंत्रण अधिकारी, पोस्ट वार्डन तथा सभी सेक्टर वार्डन का सहयोग सराहनीय रहा। साथ ही पोस्ट वार्डन आलम सिंह रावत, देवेंद्र शाह, एस चंद्रा, लोकेश गर्ग का भी बहुत योगदान उन्हें मिला। इन सभी साथियों ने हर मौके पर उनका साथ दिया। उमेश्वर फॉरेस्ट विभाग के कर्मचारियों की भी तारीफ करते नहीं थकते। रावत कहते हैं कि जितना काम कैरवान गांव में पौधरोपण के लिए जंगलात विभाग के कर्मचारियों ने उनके साथ मिल कर किया, शायद ही उतना कहीं और किया हो। 


  उमेश्वर, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के भी कैरवान गांव में पौधरोपण कार्यक्रम को लेकर काफी उत्साहित नजर आते हैं। रावत कहते हैं कि मुख्यमंत्री के प्रयास के कारण ही कैरवान गांव में अत्यधिक काम हुआ है। दो साल पहले तक जो छोटे-छोटे पौधे थे, वह आज मजबूत स्थिति में आ चुके हैं। उन पौधों को बढ़ता देख उन्हें खुद व पूरी टीम को काफी सुखद एहसास होता है। 


     रावत को समाज में लोगों का प्यार मिलने के साथ-साथ अपने घर से भी हमेशा सहयोग मिला है। वह बताते हैं उनकी पत्नी उमा रावत, बिटिया जो एक बड़े संस्थान में अधिकारी हैं एकता रावत, बेटा स्क्वाड्रन लीडर लोकेश रावत ने उनके कामों का हमेशा उत्साहवर्धन किया। समाज सेवा के कार्यों के साथ-साथ उमेश्वर सिंह रावत इतना समय भी निकाल लेते हैं कि हर सुबह वर्षों से टपकेश्वर महादेव के दर्शन करने जाते हैं और गौ सेवा के साथ-साथ पक्षियों को दाना भी डालते हैं।