उत्तराखंड ही नहीं देश के युवाओं के आदर्श बने स्पेक्स संस्था के डॉक्टर बृजमोहन शर्मा


* स्वच्छ पानी होगा तो हम होंगे....


 * स्वच्छ खाना होगा तो हम होंगे.... 


देहरादून.businessthought.page एक-एक कदम आगे बढ़ाया और कब कारवां बनता गया, मालूम ही नहीं चला. जी हां, हम बात कर रहे हैं सोसाइटी ऑफ पोलूशन एनवायरमेंटल कंजर्वेशन साइंटिस्ट्स (स्पेक्स) संस्था के सचिव डॉक्टर ब्रजमोहन शर्मा की. लोगों को पीने के पानी और खाने की चीजों में मिलावट के खिलाफ जागरूक करने के उनके जुनून ने आज उन्हें एक बहुत बड़े मुकाम तक पहुंचा दिया है. कई राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से वह नवाजे जा चुके हैं. इसलिए इस छोटे से पहाड़ी राज्य उत्तराखंड को भी उन पर गर्व है. आइए जानते हैं देहरादून निवासी डॉक्टर शर्मा के सफर की कहानी उन्हीं की जुबानी..... 


                                   हमने 22 जुलाई 1994 को स्पेक्स संस्था का गठन किया और पानी व मसालों की शुद्धता की जांच से मुहिम की शुरुआत की. इसके तहत उत्तराखंड और अन्य 22 राज्यों में काफी काम किया. अब तक हम 19 इनोवेशन भी कर चुके हैं. जिसमें जल कसौटी (वाटर फिल्टर) बनाई गई, जिसकी कीमत मात्र 180 रुपए आई. इस आविष्कार को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग भारत सरकार की ओर से अप्रूव भी किया गया. लेकिन हमने तय किया कि इसे बेचेंगे नहीं बल्कि बनाना सिखाएंगे और हमने गांव-गांव जाकर इसकी जानकारी लोगों को दी. इसके साथ हमने ' रसोई कसौटी ' भी बनाई, जिससे तेल, मसाले आदि की जांच कर पता चल सकता है कि उसमें मिलावट है या नहीं.


 स्पेक्स संस्था ने एलईडी बल्ब के माध्यम से 327 गांव को जगमगाया है, जिनमें उत्तराखंड की असी गंगा घाटी भी शामिल है. सबसे बड़ी उपलब्धि भारत का पहला गांव देहरादून के सहसपुर ब्लॉक की पट्टी है, वह भी एलईडी बल्ब से रोशन हुआ. इसके अलावा हमने एलईडी बल्ब को ठीक करने की विधि की जानकारी भी दी. स्कूली छात्रों, युवाओं, संस्थाओं को सिखाया कि वे नाम मात्र के खर्चे पर एलईडी बल्ब कैसे ठीक कर सकते हैं और इसे अपना रोजगार का जरिया भी बना सकते हैं. इससे ई वेस्ट भी नहीं होगा. संस्था की इस योजना को यू एन ओ ने भी सराहा है.


 संस्था में आज हमारे साथ हजारों वॉलिंटियर्स काम कर रहे हैं. हमने डोईवाला में 35000 परिवारों के साथ मिलकर 2 लाख 10 हजार फलदार पौधे भी लगाए थे, जो आज फलदार पेड़ों का रूप ले चुके हैं. इसी तरह वर्तमान हालात में हम कोरोना से भी जंग लड़ रहे हैं. हमने बच्चों गर्भवती महिलाओं के लिए सैनिटाइजर भी बनाया है. महिलाओं को मास्क बनाने का काम भी दिलवाया. कोरोना पर एक रैंप सॉन्ग भी बनाया गया है. हमें यह भी मालूम है कि कोरोना हारेगा और हम जीतेंगे.....


 डॉक्टर बृजमोहन शर्मा को विभिन्न प्रतिष्ठित राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की ओर से विशेषकर रोशनी के क्षेत्र में काम करने के लिए अमेरिका से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है. युवाओं के लिए अपने संदेश में डॉ शर्मा कहते हैं कि व्यक्ति की मूलभूत जरूरतें खाना और पानी है. यदि इनमें मिलावट हुई तो आने वाली पीढ़ियां कमजोर होंगी. इसलिए युवाओं को जागरूक होकर अपने आप को स्थानीय रोजगार से भी जोड़ने के लिए तैयार करना होगा.